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    कथावाचक देवकीनंदन बोले- बिना तिलक कथा में घुसने नहीं देंगे:बाबरी विवाद पर कहा- आपको अब्दुल कलाम नहीं, बाबर क्यों बनना है

    16 hours ago

    कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा- जयपुर में 15 से 21 दिसंबर तक श्रीमद्भागवत कथा होगी। जो भी भक्त तिलक लगाकर नहीं आएगा, उसे कथा स्थल पर एंट्री नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा- आप अब्दुल कलाम क्यों नहीं बनना चाहते, आपको बाबर क्यों बनना है? इसका मतलब आप हमको डराना चाह रहे हैं। उन्हें मैसेज दे दीजिएगा कि हिंदू डरता नहीं है किसी से। भारत में 2 प्रकार के मुस्लिम है - एक जो बहुत अच्छे हैं, वे जानते हैं कि हमारे पूर्वज सनातनी थे। वे नहीं चाहते कि कभी कोई इस तरीके की बात हो। और एक वे हैं जिन्हें पॉलिटिक्स में रहना है और जिनका उद्देश्य है, नालायकों को भी लायक घोषित करना। जयपुर में कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भास्कर से खास बातचीत में बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव रखने, गीता पाठ शुरू होने, दिल्ली ब्लास्ट, गौ हत्या सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। देवकीनंदन ठाकुर का पूरा इंटरव्यू अब पढ़िए... सवाल: बंगाल में बाबरी मस्जिद की नींव रखी जा रही है, कल से गीता पाठ भी शुरू होगा? जवाब: जो लोग भारत में रहते हैं और भारत में रहकर बाबर को लाइक करते हैं, उन्हें पहले बाबर का चरित्र और उद्देश्य पढ़ना चाहिए। भारत में बाबर क्यों आया था, किस लिए आया था और उसका उद्देश्य क्या था, उसने हमको क्या दिया। उसने बहुसंख्यक सनातनियों के ऊपर जुल्म करने के सिवाय कुछ नहीं किया। मेरा सवाल उन लोगों से है, जो बाबर की सोच को जिंदा रख रहे हैं। बाबर की सोच को जिंदा रखने वाले लोग ईमानदारी से बताएं कि आप किस मुंह से भाईचारे को जिंदा रखना चाहते हैं। हमने अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाया कि नहीं। हम तो कभी नहीं कहते अब्दुल कलाम साहब गलत हैं। हम उनकी रिस्पेक्ट करते हैं और भारत का हर बच्चा उनकी रिस्पेक्ट करता है। कौन है जो उनकी रिस्पेक्ट नहीं करता। आप अब्दुल कलाम क्यों नहीं बनना चाहते, आपको बाबर क्यों बनना है? इसका मतलब आप हमको डराना चाह रहे हैं। उन्हें मैसेज दे दीजिएगा कि हिंदू डरता नहीं है किसी से। सहनशील में हम समुद्र हैं। लड़ने पर आए तो बिना फड़ के, बिना बाण चलाए लोगों को समुद्र के पार उठाकर फेंक दें। यह हमारा शास्त्र हमको ज्ञान देता है। इसलिए हमें डराने की कोशिश मत कीजिए। सवाल: अभी हाल ही में दिल्ली में ब्लास्ट हुआ, उसमें कई डॉक्टर्स शामिल थे? जवाब: केवल डॉक्टर ही नहीं बल्कि वकील भी शामिल थे। यही बाबर का विचार है, जो घर को बर्बाद कर रहा है, परिवार को बर्बाद कर रहा है, गली-मोहल्ला, देश को बर्बाद कर रहा है। देश की छवि को लोग धूमिल कर रहे हैं। इस विचार का दमन करते-करते लोग हमसे कहते हैं कि यह कट्टरपंथी है, कट्टरवाद फैला रहे हैं। हम उन बुरे विचारों का दमन करना चाहते हैं तो लोग हमसे कहते हैं कि हम हिंदू मुस्लिम करना चाह रहे हैं। उनसे हमें पूछना चाहिए, उन डॉक्टर से, वकील से, ऐसे बने हुए विधायकों से कि तुम्हारे लिए बाबर इतना महत्वपूर्ण क्यों है? किस लिए है? क्या तुम उस विचारधारा को जिंदा रखकर भारत के सनातनियों को मिटा देना चाहते हो? तुम मिटाने चलो और हम बचाने भी न चलें, हम बचाने उठेंगे तो तुम कहने लग जाते हो कि हम हिंदू मुस्लिम कर रहे हैं। नहीं, हम अपनी बेटी, अपनी रोटी, अपनी जमीन, अपना देश बचाने के लिए जो करना पड़ेगा, हम करेंगे। सवाल: एक ओर हम गाय को माता कहते हैं, उसकी हत्या हो रही है, वृद्ध आश्रमों की संख्या बढ़ती जा रही है, गंगा गंदी होती जा रही है? जवाब: हम सनातनी हैं। हमारा स्वभाव थोड़ा दूषित भी हो गया है। मैंने एक कथा के दौरान यह भी कहा था कि जिसको हमने मां कहा, उसी को छोड़ दिया। चाहे वह गंगा मां हो, गाय माता हो या हमारी भारत माता हो। हम चाहते हैं कि गंगा मां निर्मल बहे, अविरल बहती रहे। गंगा हमारे पितरों को तारने वाली, हमें तारने वाली, हमारी पीढ़ी को तारने वाली है। आज हम आर्टिफिशियल दूध पी रहे हैं, पॉलिथीन में भरकर। नकली दूध, नकली घी, सभी चीज नकली। इससे इंसान भी नकली ही होगा। लोग कहते हैं कि नकली बाबा है। क्या पत्रकार नकली नहीं हैं, वकील नकली नहीं हैं, IAS–IPS भी नकली नहीं हैं? सब नकली हैं, जो धर्म के पद पर नहीं चलता, वह सब नकली है। जो केवल पेट भरने के लिए जीवित है, वह सब नकली है। धर्म के रास्ते पर चलकर ही जीवन यापन करने वाला, मेहनत की कमाई करने वाला, ईमानदारी की कमाई करने वाला चाहे वह कथावाचक हो, पत्रकार हो, जज हो या कोई भी हो वही असली है, बाकी सब नकली है। बॉलीवुड ने संस्कृति को लेकर भ्रम फैलाया देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि बॉलीवुड ने तिलक, कलावा और शिखा को ढोंग बताकर संस्कृति को लज्जित करने का काम किया। हालांकि आज धर्माचार्यों ने सही ज्ञान देकर संस्कृति को इतना प्रचारित किया कि वृंदावन में आप देखेंगे।अधिकांश लोग बिना तिलक के नहीं होते। आने वाली पीढ़ी भी बिना तिलक के नहीं रहेगी। शिखा रखने तक की परंपरा फिर शुरू हो गई है।
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